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অখিল ভাৰতীয় আয়ুৰ্বিজ্ঞান প্ৰতিষ্ঠান, গুৱাহাটী

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गुवाहाटी

All India Institute of Medical Sciences, Guwahati

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अध्यक्ष
प्रो. भूपेन्द्र कुमार सिंह संजय
अध्यक्ष - एम्स गुवाहाटी

पद्मश्रीसम्मानित प्रो. भूपेन्द्र कुमार सिंह संजय देहरादून, उत्तराखंड (भारत) के विश्व-प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन हैं, जिन्होंने आघात (ट्रॉमा) तथा ट्यूमर से पीड़ित सैकड़ों मरीजों के जीवन एवं अंगों को बचाकर उत्कृष्ट चिकित्सा तथा सामाजिक सेवाएँ प्रदान की हैं। उनके विशिष्ट शल्य-चिकित्सकीय योगदान को गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है, तथा भारत और इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में उनके दुर्लभ एवं उत्कृष्ट सामाजिक योगदान को मान्यता दी गई है।प्रोफेसर डॉ. संजय एक कुशल एवं प्रशंसित आर्थोपेडिक सर्जन, लेखक, कवि, वक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

डॉ. बी. के. एस. संजय का जन्म 31 अगस्त 1956 को भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र के एक ग्रामीण एवं दूरस्थ इलाके में हुआ। डॉ. संजय ने भारत में आर्थोपेडिक की मूल शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा उच्च स्तरीय आर्थोपेडिक प्रशिक्षण एवं फैलोशिप विदेशों से प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1980 में जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर से एमबीबीएस, वर्ष 1986 में पी.जी.आई., चंडीगढ़ से एम.एस. (ऑर्थोपेडिक) तथा वर्ष 1983 से 1986 तक सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ऑर्थोपेडिक, सफदरजंग अस्पताल, नई दिल्ली से सीनियर रेजिडेंसी पूर्ण की।योग्यता एवं मेरिट के आधार पर उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय फैलोशिप प्रदान की गईं, जिनमें स्वीडिश गवर्नमेंट फैलोशिप (1986), स्विस AO इंटरनेशनल ट्रॉमा फैलोशिप (1998), जापान के चिबा कैंसर सेंटर की फैलोशिप (1990), भारत सरकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की BOYSCAST फैलोशिप (1991), अमेरिकन मेयो क्लिनिक विज़िटिंग क्लिनिशियन फैलोशिप (1991), ऑस्ट्रेलिया के रॉयल एडलाइड हॉस्पिटल की स्पाइनल फैलोशिप (1999) तथा रूस के इलिज़ारोव साइंटिफिक सेंटर की फैलोशिप (2011) उल्लेखनीय हैं।

पूर्व में, उन्होंने किंग फै़सल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, रियाद (सऊदी अरब) में सहायक हड्डी रोग विशेषज्ञके रूप में कार्य किया, पी.जी.आई. चंडीगढ़ में सह प्रोफेसर के पद पर सेवाएँ दीं तथा हिमालयन इंस्टीट्यूट, जॉलीग्रांट, देहरादून (भारत) में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में दायित्वों का निर्वहन किया।उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलनों में 150 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं और उनके शैक्षणिक कार्य प्रतिष्ठित एवं सूचीबद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं—जैसेजर्नल ऑफ बोन एंड जॉइंट सर्जरी ((ब्रिटिश और अमेरिकी दोनों संस्करणों में), जर्नल ऑफ हैंड सर्जरी (ब्रिटिश संस्करणों में), इंटरनेशनल ऑर्थोपेडिक्स, इंडियन जर्नल ऑफ कैंसरआदि—में प्रकाशित हुए हैं।

पूर्व में, उन्होंने किंग फै़सल स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, रियाद (सऊदी अरब) में सहायक हड्डी रोग विशेषज्ञके रूप में कार्य किया, पी.जी.आई. चंडीगढ़ में सह प्रोफेसर के पद पर सेवाएँ दीं तथा हिमालयन इंस्टीट्यूट, जॉलीग्रांट, देहरादून (भारत) में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में दायित्वों का निर्वहन किया।उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलनों में 150 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं और उनके शैक्षणिक कार्य प्रतिष्ठित एवं सूचीबद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं—जैसेजर्नल ऑफ बोन एंड जॉइंट सर्जरी ((ब्रिटिश और अमेरिकी दोनों संस्करणों में), जर्नल ऑफ हैंड सर्जरी (ब्रिटिश संस्करणों में), इंटरनेशनल ऑर्थोपेडिक्स, इंडियन जर्नल ऑफ कैंसरआदि—में प्रकाशित हुए हैं।

उन्हें विभिन्न अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों एवं चिकित्सा संस्थानों में आमंत्रित व्याख्यान (Invited Lectures) देने का सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्होंने जुलाई 1990 में कांसाई मेडिकल यूनिवर्सिटी, ओसाका (जापान) के आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग में, सितंबर 1993 में जंटेंडो यूनिवर्सिटी, टोक्यो एवं इज़ुनागाओका (जापान) में, मई 1999 में फ्लिंडर्स मेडिकल सेंटर, फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ ऑस्ट्रेलिया, एडेलेड (ऑस्ट्रेलिया) में, तथा इसी अवधि में रॉयल एडेलेड हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडेलेड (ऑस्ट्रेलिया) में व्याख्यान प्रस्तुत किए।जून 1999 में उन्होंने नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल एवं नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर (सिंगापुर) में, अप्रैल 2001 में क्राइस्टचर्च पब्लिक हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ओटागो (न्यूज़ीलैंड) तथा डुनेडिन हॉस्पिटल, यूनिवर्सिटी ऑफ़ ओटागो (न्यूज़ीलैंड) में, और इसी वर्ष सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल (सिंगापुर) में आमंत्रित व्याख्यान दिए।सितंबर 2002 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सैन डिएगो (कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका) में तथा सितंबर 2004 में स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़, यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस ऑफ़ मलेशिया, कुबांग केरियन, केलंतन (मलेशिया) एवं यूनिवर्सिटी ऑफ़ मलेया मेडिकल सेंटर, कुआलालंपुर (मलेशिया) में व्याख्यान देने का गौरव प्राप्त किया।

वे इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के उत्तरांचल राज्य प्रकोष्ठ के संस्थापक अध्यक्षहैं। वे नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज़के सदस्य तथा इंटरनेशनल मेडिकल साइंसेज़ एकेडमीके फ़ेलो भी हैं।वे राज्य लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग के चयन बोर्डों में सलाहकार के रूप में सेवाएँ प्रदान कर चुके हैं तथा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) की विशेषज्ञ समितिके सदस्य भी रहे हैं।वर्तमान में वे एच.एन.बी. उत्तराखंड मेडिकल एजुकेशन यूनिवर्सिटी, देहरादून की कार्यकारी परिषदके सदस्य तथा केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार कीशैक्षणिक परिषद के नामित सदस्य रहे हैं।वे एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं, जो अपने चिकित्सा क्षेत्र के साथ-साथ सामाजिक कार्यों के लिए भी समान रूप से प्रसिद्ध हैं।

मानवता के प्रति उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें विभिन्न पेशेवर एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इनमें प्रमुख हैं— 1996 मेंSICOT फ़ाउंडेशन फ्रांस अवॉर्ड, 2002 मेंडॉ. दुर्गा प्रसाद लोकप्रिय चिकित्सक पुरस्कार, 2002 मेंउत्तराखंड रत्न, 2003 मेंउत्तरांचल गौरव, 2023 मेंविश्व रत्न डॉ. अम्बेडकर कीर्ति सम्मान, 2023 मेंउत्तराखंड रतन, तथा 2023 मेंइंस्पायरिंग ऑर्थोपेडिशियंस ऑफ़ इंडियासम्मान। दिनांक 9 नवम्बर 2021 को डॉ. संजय को उनकी विशिष्ट चिकित्सकीय सेवाओं के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान (जो गणराज्य भारत का चतुर्थ सर्वोच्च नागरिक सम्मान है) से राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया।पद्मश्री से सम्मानित डॉ. बी. के. एस. संजय को लोकसभा सचिवालय (संसदीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान लोकतंत्र हेतु) द्वारा 24 अप्रैल 2022 को संसद भवन परिसर, नई दिल्ली में आयोजित संवादात्मक सत्र के दौरान लोक स्वास्थ्य जागरूकता एवं आर्थोपेडिक शिविरों से संबंधित अपने अनुभव साझा करने हेतु आमंत्रित किया गया, ताकि माननीय संसद सदस्यों को उनसे लाभान्वित किया जा सके।इस अवसर पर उन्होंने पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी (CP) तथा सड़क दुर्घटनाओं से उत्पन्न होने वाली विकृतियों एवं दिव्यांगताओं के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की, जो समाज में गरीबी बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास में बाधा उत्पन्न कर रही हैं।

पद्मश्री प्रो. बी. के. एस. संजय को आर्थोपेडिक शल्यचिकित्साके विकास एवं संवर्धन में उनके बहुमूल्य योगदान के लिए भारतीय आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा दिसंबर 2021 में गोवा में आयोजित 66वें वार्षिक सम्मेलन में औपचारिक रूप से सम्मानित किया गया। उन्हें उत्तराखंड आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारालाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्डतथा वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारास्पेशल आर्थोपेडिक रिकग्निशन अवार्डप्रदान किया गया।प्रो. (डॉ.) बी. के. एस. संजय को वर्ष 2022 में प्रयागराज आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वाराडॉ. एस. सी. गौड़ ओरेशनतथा वर्ष 2023 में बिहार आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वाराडॉ. बी. मुखोपाध्याय ओरेशनसे सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सेंट्रल ज़ोन एवं भारतीय आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा विभिन्न अन्य प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हुए हैं, जो आर्थोपेडिक चिकित्साक्षेत्र में उनके दीर्घकालिक एवं उत्कृष्ट सेवा-योगदान का प्रमाण हैं।वर्तमान में वे नगर निगम देहरादून के अंतर्गतस्वच्छ भारत मिशनकेस्वच्छता ब्रांड एंबेसडरके रूप में कार्यरत हैं तथाआत्मनिर्भर भारतकार्यक्रमके अंतर्गत विभिन्न मंचों पर प्रेरक वक्ताके रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।

डॉ. संजय नेसबसे बड़े अस्थि-अर्बुद (Largest Bone Tumor) निष्कासनकी श्रेणी मेंविश्व रिकॉर्डस्थापित किया है। उन्होंने 35 वर्षीय पुरुष रोगी के फीमरसे16.5 किलोग्राम वज़न वाले विशाल अस्थि-अर्बुदका सफल शल्य-निष्कासन किया। यह अद्वितीय रिकॉर्ड वर्ष 2005 मेंगिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्समें अंकित हुआ, जो निःसंदेह डॉ. संजय की असाधारण शल्य-कौशल और चिकित्सा विशेषज्ञता का प्रमाण है।डॉ. संजय का नामलिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्समें भी क्रमशः वर्ष 2002, 2003, 2004 और 2009 में विभिन्ननवाचारपूर्ण एवं सफल शल्य उपलब्धियोंके लिए दर्ज किया गया है। इन उपलब्धियों में प्रमुख रूप से शामिल हैं—

  • 98 वर्षीय उच्च-जोखिम वाले मरीज मेंकूल्हा प्रत्यारोपण शल्यक्रिया (Hip Replacement Surgery)का सफल संपादन,
  • अस्थि-कैंसर से पीड़ित एक किशोरी मेंऑटोक्लेव्ड स्टीम-स्टीरलाइज़्ड ट्यूमर बोनकापुनःरोपण (Re-implantation)कर उसके अंग एवं जीवन की रक्षा,
  • सबसे बड़े अस्थि-अर्बुद के निष्कासन का अभिलेख, तथा
  • 88 वर्षीय वृद्ध मरीज मेंरीढ़ की सफल शल्यक्रिया।
ये सभी उपलब्धियाँ आर्थोपेडिक शल्यचिकित्साके क्षेत्र में डॉ. संजय की विशिष्टता, नैदानिक उत्कृष्टता तथा निरंतर नवाचार के उच्च मानकों का द्योतक हैं।

पोलियो तथा सेरेब्रल पाल्सीहमारे देश में बच्चों में होने वालेपक्षाघातएवंदिव्यांगताके प्रमुख कारण हैं। डॉ. संजय इन रोगों से पीड़ित बच्चों के उपचार हेतु नियमित रूप सेनिःशुल्क चिकित्सा शिविरआयोजित कर अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने अपने 40 वर्षों के आर्थोपेडिक करियर मेंपोलियो एवं सी.पी. (CP) बच्चों पर 5000 से अधिक शल्यचिकित्साएँसफलतापूर्वक संपादित की हैं, जिनसे इन बच्चों के जीवन में उल्लेखनीय सुधार संभव हो पाया है।डॉ. संजय द्वारा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के शहरी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में200 से अधिक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरआयोजित किए गए, जिनमें गरीब एवं जरूरतमंद मरीजों को सेवाएँ प्रदान की गईं। यह उल्लेखनीय सामाजिक योगदान वर्ष 2017 मेंइंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्समें भी विधिवत दर्ज किया गया।

उन्होंने अपने 45 वर्षों के व्यावसायिक कार्यकाल में सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्न पहलुओं का अवलोकन किया है। सड़क दुर्घटनाओं से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा झेली जाने वाली व्यक्तिगत, सामाजिक एवं आर्थिक क्षति को देखते हुए, तथा एक अस्थिरोग विशेषज्ञहोने के नाते, उन्होंने भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव के प्रति प्रभावित व्यक्तियों एवं आमजन में जागरूकता बढ़ाने का संकल्प लिया और वर्ष 2001 से जनजागरूकता अभियान प्रारम्भ किया।सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के अंतर्गत उन्होंने आकाशवाणीएवं दूरदर्शन देहरादून तथा दिल्ली से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। इसके साथ ही, उन्होंने एवं उनकी टीम ने उत्तराखंड एवं इसके पड़ोसी राज्यों के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में निःशुल्क जन-जागरूकता व्याख्यान प्रदान किए। इस उल्लेखनीय सामाजिक योगदान की प्रशंसा उत्तराखंड के परिवहन मंत्री एवं निदेशक, ट्रैफिक उत्तराखंड द्वारा की गई तथा वर्ष 2020 में इसेइंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्समें प्रकाशन हेतु स्वीकार किया गया।उन्होंने दिनांक 30 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड राजभवन में माननीय राज्यपाल के मार्गदर्शन में एक सड़क सुरक्षा जन-जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें भारत सरकार के केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान के अध्यक्ष, संजय ऑर्थोपेडिक, स्पाइन एंड मैटर्निटी सेंटर के अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव संजय, तथा पुलिस, ट्रैफिक, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, पर्यटन एवं सेना विभागों के अधिकारीगण सम्मिलित हुए।इसके अतिरिक्त, उन्होंने “भारत में सड़क दुर्घटनाएँ” विषय पर एक पुस्तक लिखी है, जो वर्तमान में नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशनाधीन है।

वे प्रतिवर्षइंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशनद्वारा आयोजितनेशनल बोन ऐंड जॉइंट वीकका आयोजन करते हुए गरीब एवं जरूरतमंद रोगियों को निःशुल्क परामर्श, शल्य चिकित्सातथा रेडियो, दूरदर्शन एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से जन-जागरूकता कार्यक्रम प्रदान करते रहे हैं। वे प्रत्येक शनिवार कोबीपीएल (Below Poverty Line)कार्डधारकों को निःशुल्क अस्थिरोग परामर्श उपलब्ध करा रहे हैं।स्वास्थ्य-सम्बंधित सामाजिक मुद्दों पर जन-जागरूकता फैलाने हेतु वे पिछले 14 वर्षों से अधिक समय से रोगियों को निःशुल्क मासिकहेल्थ पोस्ट पेपरवितरित कर रहे हैं। चिकित्सा लेखन के अतिरिक्त, उन्होंने सड़क दुर्घटना विषयक सैकड़ों लेख तथा देश के एक प्रमुख अंग्रेज़ी दैनिक में 100 से अधिकगेस्ट कॉलमप्रकाशित किए हैं। इस उल्लेखनीय योगदान कोइंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स 2021में अंकित एवं सम्मानित किया गया है।इसके अतिरिक्त, उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भी अपना महत्वपूर्ण सामाजिक योगदान दिया है। उन्होंने प्रमुख भारतीय समाचार पत्रों में अनेक जन-जागरूकता कॉलम लिखे तथा रेडियो एवं टीवी के माध्यम से विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस सेवा-भावना और योगदान के लिए उन्हेंकोरोना वॉरियर्स अवार्ड 2020, अनस्टॉपेबल कोविड-19 फाइटर 2020एवंसेवा रत्न सम्मान 2020से सम्मानित किया गया है।

डॉ. संजय न केवल एक प्रतिष्ठित शल्य-चिकित्सक तथा समाजसेवी हैं, बल्कि एक उत्कृष्ट लेखक, वक्ता एवं स्तंभकार भी हैं, जिन्हें हिंदी एवं अंग्रेज़ी—दोनों भाषाओं का अखंड ज्ञान है। किसी शल्य-विशेषज्ञ द्वारा काव्य-रचना करना अत्यंत विरल गुण माना जाता है। डॉ. संजय न केवल अस्थि एवं जोड़ों (Bones and Joints) का पुनर्निर्माण करते हैं, बल्कि अपनी प्रथम काव्य-संग्रह में प्रदर्शित उच्च कोटि की साहित्यिक रचनात्मकता के माध्यम से हृदयों का भी सौंदर्यपूर्ण पुनर्संयोजन करते हैं। उनके कविताओं में प्रेम, स्नेह, सेवा एवं समाज के प्रति करुणा जैसे विविध विषयों का संवेदनशील एवं प्रभावी रूप से समावेश मिलता है।

डॉ. संजय ने अपनी प्रथम काव्य-पुस्तक“उपहार संदेश का”की प्रथम प्रति भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू तथा माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को सादर भेंट की। यह कृति भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित की गई है। समाज के प्रति काव्य के माध्यम से डॉ. संजय द्वारा प्रदत्त संदेश समाज हेतु एक अद्वितीयमनो-सामाजिक उपहारकहा जा सकता है।उक्त पुस्तक का औपचारिक विमोचन उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया गया। उनकी इस साहित्यिक उपलब्धि एवं सामाजिक संवेदना को ध्यान में रखते हुए, उन्हें हिंदी भवन, नई दिल्ली में उनकी काव्य-कृति के लिए“काव्य भूषण सम्मान”से सम्मानित किया गया।

स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पोषण प्रत्येक व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, जिनके प्रति समाज में व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है। चिकित्सकीय लेखन के अतिरिक्त, पद्मश्री से सम्मानित डॉ. संजय द्वारा एक प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक में सौ से अधिक पत्रिकाएं लिखे गए हैं, जिन्हें समाज में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पोषण संबंधी जागरूकता को और सुदृढ़ रूप से प्रसारित करने के उद्देश्य से“फ्रॉम द पेन ऑफ सर्जन्स”शीर्षक पुस्तक के रूप में संकलित किया गया है।यह पुस्तक प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है तथा इसका औपचारिक विमोचन भारत सरकार के माननीय केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा किया गया।

पद्मश्री से सम्मानित प्रो. संजय ने 18 अप्रैल 2023 को जयोति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर के दीक्षांत समारोह में भारत के माननीय पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद—जो कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे—के साथगेस्ट ऑफ ऑनरके रूप में मंच साझा किया। यह अवसर उनके लिए अत्यंत गौरव और सम्मान का विषय रहा।डॉ. बी. के. एस. संजय को 3 दिसम्बर 2023 को लंदन स्थित प्रतिष्ठित लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में एक बार पुनःगिनीज वर्ल्ड रिकॉर्डसे सम्मानित किया गया। वर्ष 2023 में उन्हें विश्व के23 सकारात्मक परिवर्तनकर्ताओं (Positive Change Makers)में सम्मिलित किए जाने का सम्मान प्राप्त हुआ, जो उनके सामाजिक, चिकित्सकीय एवं मानवीय योगदान का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मूल्यांकन दर्शाता है।

पद्मश्री सम्मानित प्रो. संजय के विशिष्ट चिकित्सकीय, सामाजिक एवं परोपकारी कार्यों को अनेक अवसरों पर राष्ट्रीय स्तर के कई प्रतिष्ठित नेतृत्वकर्ताओं द्वारा सराहा एवं मान्यता प्रदान की गई है। उनके कार्यों को भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, पूर्व राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद, माननीय केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य तथा उत्तराखंड के विभिन्न माननीय मुख्यमंत्रियों—श्री पुष्कर सिंह धामी, श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं श्री नारायण दत्त तिवारीद्वारा सम्मानित किया जा चुका है।स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री उत्तराखंड डॉ. धन सिंह रावत, पूर्व सांसद श्री अमर सिंह, पूर्व सीडीएस स्व. जनरल बिपिन रावत तथा राज्यसभा के महासचिव श्री पी. सी. मोदी सहित कई वरिष्ठ प्रतिनिधियों द्वारा भी उनके योगदान की प्रशंसा की गई है।इसके अतिरिक्त, उनके कार्यों को विभिन्न आध्यात्मिक एवं सामाजिक संस्थानोंजैसे परम पूज्य चिन्मयानंद स्वामी, परमार्थ निकेतन ऋषिकेश, नारायण सेवा संस्थान उदयपुर (राजस्थान), ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू, भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, सतगुरु कबीर आश्रम सेवा संस्थान नागौर (राजस्थान), श्री वैष्णव विद्या पीठ विश्वविद्यालय इंदौर, ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटेलेक्चुअल्स देहरादून, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द एंपावरमेंट ऑफ पर्सन्स विथ विजुअल डिसऑबिलिटीज (NIEPVD) देहरादून, तथा पतंजलि विद्यापीठ के स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण आदिद्वारा भी औपचारिक रूप से प्रशंसित और सम्मानित किया गया है।